प्रशासन की चेतावनी पर भी नियम में बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन अब बिल्डर ही प्रकृति के आगे हार मान रहे हैं। यमुना सिटी के सेक्टर-22 डी में तीन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट का नक्शा बदल दिया है।
तीनों प्राधिकरण भूजल स्तर की अनदेखी कर बेसमेंट बनाने की अनुमति दे रहे हैं। प्रशासन की चेतावनी पर भी नियम में बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन अब बिल्डर ही प्रकृति के आगे हार मान रहे हैं। यमुना सिटी के सेक्टर-22 डी में तीन बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट का नक्शा बदल दिया है। वो अब डबल बेसमेंट नहीं बनाएंगे।
डबल बेसमेंट बनाने से भूजल दोहन करना पड़ रहा है। साथ ही भविष्य में बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचेगा। बिल्डरों ने बदलाव के साथ प्राधिकरण में नक्शा स्वीकृति कराने का आवेदन किया है। बिल्डरों की पहल का लाभ प्रोजेक्टों में निवेश करने वाले खरीदारों को मिलेगा।
यमुना नदी के किनारे की जमीन का भूजल स्तर काफी ऊपर है। वहां पर 2.5 से तीन मीटर गहराई पर पानी निकल आता है। इसका सबसे अधिक असर यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-22 डी में है। यहां प्राधिकरण ने विभिन्न बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग व कॉमर्शियल भूखंडों का आवंटन किया है। काफी प्रोजेक्ट में निर्माण कार्य चल रहा है। ज्यादातर में बेसमेंट बनाए जा रहे हैं। बेसमेंट की खुदाई के समय भूजल निकल रहा है।
बिल्डर बिना अनुमति के भूजल दोहन कर पानी को नाले में बहा रहे हैं। इस पर भूगर्भ जल विभाग कार्रवाई भी कर रहा है, लेकिन फिर भी बिल्डर बाज नहीं आ रहे हैं। बिल्डरों की मनमानी के कारण भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। प्राधिकरण के अफसरों ने बताया कि सेक्टर-22 डी में ऐस ग्रुप, पूर्वांचल और एल्डिगो बिल्डर ने केवल एक बेसमेंट बनाने का फैसला लिया है। उसी का नक्शा भी जमा किया है। भूजल स्तर को ध्यान में रखकर नक्शा को स्वीकृति दी जाएगी।
10 मीटर तक दी जा रही है बेसमेंट की अनुमति
बेसमेंट की अनुमति देने में भूजल स्तर देखा जाता है, 10 मीटर से अधिक गहराई के बेसमेंट बनाने की अनुमति दी जा रही है। इस कारण यमुना नदी के किनारे के सेक्टरों में बेसमेंट बनाने संभव नहीं है। वहां भूजल स्तर काफी ऊपर है। इस संबंध में जिलाधिकारी की तरफ से भी तीनों प्राधिकरणों को पत्र लिखा गया है, लेकिन उस पर कोई बदलाव नहीं हुआ।
यमुना नदी का हिस्सा रहा है सेक्टर-22डी का क्षेत्र
ग्रामीणों का कहना है कि यमुना सिटी के सेक्टर 22-डी नदी से ज्यादा दूर नहीं हैं। अभी यह डूब क्षेत्र से बाहर है, लेकिन पूर्व में यह जमीन यमुना नदी का था। यमुना नदी का बहाव क्षेत्र था। बाढ़ का पानी भी यहां पहुंचता था। इसी कारण बेसमेंट की खुदाई में बालू निकल रहा हैं। ऐसे में यहां पर बेसमेंट की अनुमति जोखिम भरा होगा।
एटीएस एल्योर सोसाइटी में आई थी समस्या
सेक्टर-22 डी स्थित एटीएस एल्योर सोसाइटी में 100 से अधिक परिवार रह रहे हैं। सोसाइटी के बेसमेंट से काफी समय से भूजल निकल रहा है। ऐसे में बेसमेंट के फर्श में दरारें आ चुकी है। पानी के साथ बालू निकल रहा है। उससे रॉफ्ट भी खाली हो रही है। लगातार भूजल निकलने से बिल्डिंग को खतरा है। निवासी स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की मांग कर रहे है।
पहले दो बेसमेंट बनाने की योजना थी, लेकिन अब केवल एक बेसमेंट बनाया जाएगा। दूसरे बेसमेंट की जगह भूतल पर पार्किंग की व्यवस्था रहेगी।
-प्रताप राठी, एमडी ऐस ग्रुप
सेक्टर-22 डी में कई और अन्य प्रोजेक्ट बन रहे हैं। वहां भी भूजल की समस्या हैं। जांच में इसकी जानकारी भी मिली हैं। भूजल को ध्यान में रखकर बेसमेंट की अनुमति दी जानी चाहिए। वहां पर कई बिल्डरों ने बेसमेंट नहीं बनाने का भी फैसला लिया है। जो सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है।
अंकिता राय, हाइड्रोलॉजिस्ट भूगर्भ जल विभाग
सेक्टर-22 डी में ऐस ग्रुप, पूर्वांचल और एल्डिगो बिल्डर ने केवल एक बेसमेंट बनाने का फैसला लिया है। उसी का नक्शा भी जमा किया है। भूजल स्तर को ध्यान में रखकर नक्शा को स्वीकृति दी जाएगी।